कवि देवनन्दि
इन्होंने भी कथा ग्रंथों की रचना कर अपभ्रंश साहित्य की श्रीवृद्धि में अपना योगदान दिया है। इनका रोहिणी विहाण कहा नामक ग्रंथ उपलब्ध है। रचना शैली के आधार पर कवि का समय 15वीं शताब्दी माना जा सकता है।